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गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त के प्रतिपादक - आइजक न्यूटन (Isaac Newton Biography)

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आइजक न्यूटन को भौतिकी के जन्मदाता के रूप में जाना  जाता है। विश्व के महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया , इन्होंने गति के तीनो नियमो का पता लगाया , तरंगो की गति का पता लगाया , इन्होंने कैल्कुलस का अविष्कार किया और गणित सम्बंधित अनेको खोज की। भौतकी के जन्मदाता न्यूटन का जन्म इंग्लेंड में लिंकन शायर के वूल्स्थोर्पे नमक गांव में  हुआ था। उसी वर्ष महान वैज्ञानिक गेलेलियो की म्रत्यु हुई थी। क्रिसमस के दिन जन्मे आइजक के बचपन की उमीदे कम थी।  इनकी माँ विधवा थी। जिन्होंने दोबारा से शादी कर ली थी। और आइजक न्यूटन को उनकी दादी के यहाँ भेज किया। जहा आइजक  दिन रात पढता रहा। वो किभी चक्की तो कभी घड़ियों के मॉडल बनाता , चित्रो की नकले करता और फूल फल और जड़ीबूटियां एकत्र करता था। जो वो 14 वर्ष का हुआ तो वो अपनी माँ के पास आ गया। क्योंकि उनकी माँ फिरसे विधवा हो गयी थी। अपनी माँ के पास खेती बड़ी में आइजक का मन नहीं लगा। 18 वर्ष  उम्र में उसे केम्ब्रिज विश्विद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में भर्ती करा दिया गया। वहां से उन्होंने 1865 में B.A. की उपाधी प्राप्त की। एक गणित के अध्यापक बैरो ने उनकी प्रतिभा की पहचाना , और प्रोत्साहित किया और अपना उत्तराधिकारी कैम्ब्रिज में उन्हें गणित का प्रोफेसर बना दिया। बगीचे में पेड़ से गिरे सेब को देखकर उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त के प्रतिपादन किया कि पृथ्वी सभी वस्तुओ को अपने केंद्र की और खिंचती है। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के ब्रह्माण्डव्यापी नियम भी बताया कि ब्रह्माण्ड के सभी पिण्ड पारस्परिक आकर्षण के कारण अंतरिक्ष में लटके हुए है। उन्होंने बताया की हर वस्तु दूसरी वस्तु को आकर्षण बल से खिंचती है। न्यूटन ने गणित  कैलकुलस की नीव डाली। उन्होंने गणित के तीनो नियमो की खोज की और उन्होंने बताया की हर भौतिक क्रिया की विपरीत प्रतिक्रिया  है। न्यूटन ने सबसे भले प्रिज्म के जरिये पता लगाया कि सफ़ेद रंग सात रंगों से मिलकर बना होता है। उन्होंने प्रकाश सम्बन्धी सिद्धान्त "ऑप्टिकल" और अन्य सभी "प्रिसिपिया"में प्रकाशित है। सर न्यूटन को बतौर विश्विद्यालय प्रतिनिध पार्लियामेंट के लिए चुना गया। अपने अंतिम समय में वे खगोलीय पिण्डों पर बहुत महवपूर्ण काम कर रहे थे। 85 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी। इनके महान खोजो का पूरा विश्व हमेशा आभारी रहेगा। इनके योगदान की वजह से आज अनेको खोजे संभव हो पायी है।
 

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