नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी के उल्म में एक यहूदी परिवार में हुआ था। 1905 में उन्होंने ज्यूरिख विश्विद्यालय से P.Hd की उपाधि हासिल की और भौतिक सम्बंधित अपने अनुसंधानों पर अन्तराष्ट्रीय सोध पत्रिका में अपने 5 सोध छपवाये जिससे उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली। 40 साल बाद एटम बम का अविष्कार हो सका। उनका पहला पत्र फोटोइलेक्ट्रोनिक इफ़ेक्ट पर आधारित था और दूसरा ब्राउनियन गति पर आधारित था। तीसरे पत्र में उन्होंने सापेक्षता का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। चौथे पत्र में उन्होंने द्रव्यमान और ऊर्जा की समतुल्यता का क्रन्तिकारी विचार प्रस्तुत किया था। और अंतिम पत्र में उन्होंने प्रकाश के संचरण का फोटोन सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उनकी मूल स्थापनायें थी प्रकाश की गति हर हल में अपरिवर्तनीय है द्रव्यमान, दुरी , और समय जैसी भौतिक रशिया बदलती रहती है। और द्रव्य को ऊर्जा में तथा ऊर्जा की द्रव्य में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा की थोड़े से द्रव्य से अधिक ऊर्जा का विसर्जन होगा जिसका उपयोग मानव सृजन में या संहार में किया जा सकता है। उनके फॉर्मूले के मुताबित पदार्थ से उनके द्रव्यमान को प्रकाश की गति के वर्ग से गणित फल के बराबर ऊर्जा प्राप्त होगी। यानी एक टन पदार्थ से 70 लाख टन डायनामाइट दहन की ऊर्जा। 1933 में जर्मनी पर हिटलर के काबिज होने के बाद वे अमेरिका चले गए। 1939 में उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रीपति रूजवेल्ट को पत्र लिखा , जसमे अमेरिकी परमाणु बम का रास्ता खोल दिया। लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी हादसे से वे बहुत दुखी हुए। इजराइल का राष्ट्रपति बनने का ऑफर उन्होंने ठुकरा दिया। 1950 में उनका यूनिफार्म फिल्ड का सिद्धान्त प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने गुरत्वाकर्षण और विद्युत चुम्बकीय खोजो को सूत्रों में पिरो दिया। 76 वर्ष की आयु में उनकी मृत्य हो गयी। लेकिन अमूल्य योगदान को पूरा विश्व भुला नहीं पाया। उनके परमाणु ऊर्जा सम्बंधी सोध के प्रणेता इस महानतम वैज्ञानिक का मस्तिष्क भावी पीढियो के लिए प्रिस्टन अमेरिका में सुरक्षित रखा गया है।
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विश्व ज्ञान
आपने अपनी जानकारी को बहुत ही उम्दा तरीके से विस्तृत किया है, आपके द्वारा दी गयी जानकारी मुझे बहुत अच्छी तरह से समझ में आये इसके लिए आपका धन्यवाद
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