टेलीफोन के जन्मदाता अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जन्म स्काटलैंड के एडिनबरा में हुआ था। और इनका पालन पोषण अमेरिका के मैसासुचेस्ट में बोस्टन में हुआ था। अपने जीवन में वे ऐसे यंत्र को बनाने में जुटे रहते थे जिससे भरे बच्चो को सुनने में मदत मिल सके। इन सब इसके साथ साथ वे टेलीग्राफ के सुधार में भी जुटे रहते थे। इन दोनों कामो के मिले जुले रूप से ही उन्हें टेलीफोन जैसे यन्त्र की खोज करने में कामयाबी मिली। एक बार ग्रहमबेल बेतार के तार यन्त्र के कारखाने में गए जहाँ उनकी मुलाकात इलेक्ट्रीक इंजीनयर थामस वाटसन से हुई। जल्द ही दोनों की अच्छी दोस्ती हो गयी। ग्रहमबेल यंत्रो के नक्शे बनाते और वाटसन मॉडल बनाते थे। 2 जून 1875 बात है कि ग्रहमबेल वाटसन के साथ टेलीग्राफ सम्बंधित प्रयोग कर रहे थे। तार से कई सन्देश भेजने की धुन में उन्होंने सोचा की क्यों न ध्वनि सन्देश भेजा जाये। टेलीग्राफ के रिसीवर पर एक कमरे में ग्रहमबेल थे और दूसरे कमरे में वाटसन थे। सामान्य सन्देश के साथ वाटसन ने ऊँगली मरकर ध्वनि पैदा की तो वो ध्वनि ग्रहमबेल तक पहुँची। ख़ुशी से बदहवास होकर ग्रहमबेल भागते हुए वाटसन के कमरे में पहुँचे और जोर से चिल्लाकर बोले मेने तुम्हारी ऊँगली की आवाज सुनी है। इसके बाद उन्होंने कुछ और प्रयोग किया और एक ऐसा यन्त्र बनाने में कामयाब हुए जिससे दुरी पर बैठे दो लोग आपस में एक दूसरे की आवाज सुन सकते थे। इस यन्त्र ग्रैहम बेल ने जो शब्द सबसे पहले बोले थे वो थे "वाटसन! वाटसन यहाँ आओ मुझे तुम्हारी जरुरत है।" सन 1876 में ग्रहमबेल ने टेलीफोन बनाने का पेटेन्ट प्राप्त कर लिया और उसके अगले ही साल ग्रैहम बेल ने टेलीफोन कंपनी की नीव डाल दी। 75 वर्ष की आयु में जब उनकी मृत्य हुई तो सारे अमेरिका में उनको श्रद्धांजलि देने के लिए टेलीफोन एक मिनट के लिए बन्द रहे।
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