आप सभी इन्टरनेट तो चलते ही होगे चाहे आप इन्टरनेट को मोबाइल में प्रयोग करते हो या फिर कंप्यूटर में दोनों ही स्थान पर इन्टरनेट को प्रयोग करने के लिए wi-fi इन्टरनेट को प्रयोग करने का सबसे अच्छा तरीका है कंप्यूटर में wifi के द्वारा इन्टरनेट चलने के लिए कंप्यूटर या लैपटॉप में wifi adopter होना चाहिए तभी आपके कंप्यूटर या लैपटॉप में wifi के द्वारा इन्टरनेट चल पायेगा wifi कनेक्टिविटी देने के लिए नेटवर्क पर जितना डाटा उपलब्ध होगा उसके मुताबिक 2.4 GHz से 5 GHz के बीच की ध्वनी तरंगो को छोड़ता है जिस क्षेत्र में wifi की कनेक्टिविटी हो जाती है उसे उसे हॉटस्पॉट कहते है हॉट स्पॉट का कनेक्सन पाने या उसका पता लगाने के लिए वायरलेसमोन जैसे अच्छे सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है वायरलेस कनेक्सन को आरंभ करने के लिए सबसे पहले आवश्यकता होती है वायरलेस राऊटर की वायरलेस राऊटर को पहले इन्टरनेट कनेक्सन से जोड़ा जाता है और इसके बाद देखे कि सारी जरुरी सेटिंग ठीक से लगी हुई है या नहीं
आज के समय में wifi टेक्नोलॉजी का प्रयोग दुनिया भर में बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है आज सभी जगहों पर wifi कनेक्सन होते है जिसे wifi या वायरलेस फिडेलिटी या 802.11 नेटवर्किंग कहते है क्योकि ये IEEE 802-11 तकनीक को कवर करता है wifi का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये लगभग सभी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ सेट हो जाता है
मोबाइल फ़ोन के तरहे से ही नेटवर्क में सूचनाओ के आदान प्रदान करने के लिए wifi नेटवर्क रेडियो तरंगो का प्रयोग करता है wifi लगाने के लिए सबसे पहला कदम है अपने कंप्यूटर में वायरलेस adopter लगवाना जो डाटा को रेडियो तरंगो के रूप में ट्रांसमिट करेगा ये सिग्नल एंटीना के जरिये राऊटर के नाम से जाना जाने वाला डिकोडर तक भेजा जायेगा इन्टरनेट से जो डाटा रिसिव होगा वो राऊटर के भी गुजरेगा और रेडियो सिग्नल में कोडेड हो जायेगा फिर इस रेडियो सिग्नल को कंप्यूटर का वायरलेस adopter रिसिव कर लेगा
आज के समय में wifi टेक्नोलॉजी का प्रयोग दुनिया भर में बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है आज सभी जगहों पर wifi कनेक्सन होते है जिसे wifi या वायरलेस फिडेलिटी या 802.11 नेटवर्किंग कहते है क्योकि ये IEEE 802-11 तकनीक को कवर करता है wifi का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये लगभग सभी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ सेट हो जाता है
मोबाइल फ़ोन के तरहे से ही नेटवर्क में सूचनाओ के आदान प्रदान करने के लिए wifi नेटवर्क रेडियो तरंगो का प्रयोग करता है wifi लगाने के लिए सबसे पहला कदम है अपने कंप्यूटर में वायरलेस adopter लगवाना जो डाटा को रेडियो तरंगो के रूप में ट्रांसमिट करेगा ये सिग्नल एंटीना के जरिये राऊटर के नाम से जाना जाने वाला डिकोडर तक भेजा जायेगा इन्टरनेट से जो डाटा रिसिव होगा वो राऊटर के भी गुजरेगा और रेडियो सिग्नल में कोडेड हो जायेगा फिर इस रेडियो सिग्नल को कंप्यूटर का वायरलेस adopter रिसिव कर लेगा
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