मकर संक्रांति के मुख्य पहलू:
1. सूर्य का उत्तरायण होना: इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे शुभ काल माना जाता है।
2. पवित्र स्नान और दान: इस दिन गंगा, यमुना, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। साथ ही तिल, गुड़, चावल, और वस्त्र दान करने की परंपरा है।
3. फसल उत्सव: यह त्योहार नई फसल के आगमन का प्रतीक है। किसान अपनी मेहनत का फल देखकर खुशियां मनाते हैं।
4. तिल-गुड़ का महत्व: तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां इस दिन विशेष रूप से खाई और बांटी जाती हैं। यह प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
5. पतंगबाजी: कई स्थानों पर मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है, खासतौर पर गुजरात और राजस्थान में।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में नाम और रूप:
पोंगल: तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
लोहड़ी: पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पहले मनाया जाता है।
भोगाली बिहू: असम में इसे भोगाली बिहू कहते हैं।
उत्तरायण: गुजरात में इस दिन को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति न केवल प्रकृति और कृषि के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
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