क्रिसमस यह प्रभु ईसामसीह का जन्मदिन है। 2000 साल पहले तीन कोस दूर एक छोटे से गाॅंव बेथलेहम में पैदा हुए थे। प्रभु एक ऐसी जगह पैदा हुए थे। जहाॅं शायद ही किसी इन्सान का जन्म होता है-गोशाला
ऐसा इसलिए हुआ क्योकि प्रभु की माॅं मरियम को कोई शरण नही दे रहा था, जिसके कारण उन्हे गौशाला में शरण लेनी पडी और वही प्रभु का जन्म हुआ। प्रभु का देहावसान युवावस्था में ही हो गया था, जब उनकी आयु मात्र 33 वर्ष की थी। यह वही आयु है जब एक इन्सान अपने परिवार की शरुआत करता है और अपने उज्ज्वन भविष्य की कामना करता है।
हम हमेशा ही उन लोगों को याद करते है। जो अपनी जिन्दगी में सफलता की उॅचाईयों को छूते हैं जब हम उनके सम्र्पक में आते हैं तब उनकी जन्मतिथि और तरह-तरह की बातें जानने को उत्सुक होते हैं। जन्म मृत्यु की पाचान तभी होती है, जब इंसान की जिन्दगी होती है।
प्रभु ईसामसीह सबसे अद्भुत एवं अलग थे।अनके जन्म व मृत्यु को उनकी जिन्दगी ने एक मतलब दिया। ईसामसीह भगवान के पुत्र थे। अनके जन्म हजारो साल जहले भगवान के एक दूत ने कर दी थी। उन्होने इस बात के संकेत दिए थे, कि भगवान का जन्म बैथलेहम में होगा और कुछ दूतो ने तो भगतान के भविष्य और मृत्यु की आशंका प्रकट की थी। यह सब कुछ नबी ईसाह मे साफ-साफ लिखा है।
भगवान ईसा मसीह का जन्म पहले से ही लिखा हुआ था। वह ही केवल ऐसे इंसान हैं जिनके पास पुर्नजन्म की शक्ति थी। इस प्रमाण से यह साफ होता है कि भगवान के जन्म का कोई मतलब था। उनका जन्म हमें यह बताता है कि प्रभु हम सबसे प्यार करते हैं क्योंकि हम उरनके बच्चे हैं और वे हमाने पिता है। प्रभु ने हमें यह सिखया है कि हमारा असली घर स्वर्ग है। जहाॅ पर हमें हमेशा अपने पिता के साथ रहना है। परन्तु स्वर्ग में पहुॅचना हमारे हाथ में नहीं है। हम सबने कुछ गलतियाॅ की है। और हम प्रभु से प्रार्थना करजे है कि वो हमारी गलतियाॅ माफ करे। यह सब प्रभु इस संसार से प्यार करते है। उन्होने अपरा एक बालक हम सबके बीच भेजा ताकि सब उसमें विश्वास कर सकें और बुरे मार्ग को न अपनाए जिससे उनकी जिंदगी हमेशा सफन बन सके।
क्रस पर लटकते समय शुक्रवार दोपहर को 2000 साल पहले मिट्टी ईसामसीह ने ईश्वर से प्रार्थना की कि- हे भगवान मेरी हत्या करने वालों को क्षमा करना।
ऐसा इसलिए हुआ क्योकि प्रभु की माॅं मरियम को कोई शरण नही दे रहा था, जिसके कारण उन्हे गौशाला में शरण लेनी पडी और वही प्रभु का जन्म हुआ। प्रभु का देहावसान युवावस्था में ही हो गया था, जब उनकी आयु मात्र 33 वर्ष की थी। यह वही आयु है जब एक इन्सान अपने परिवार की शरुआत करता है और अपने उज्ज्वन भविष्य की कामना करता है।
हम हमेशा ही उन लोगों को याद करते है। जो अपनी जिन्दगी में सफलता की उॅचाईयों को छूते हैं जब हम उनके सम्र्पक में आते हैं तब उनकी जन्मतिथि और तरह-तरह की बातें जानने को उत्सुक होते हैं। जन्म मृत्यु की पाचान तभी होती है, जब इंसान की जिन्दगी होती है।
प्रभु ईसामसीह सबसे अद्भुत एवं अलग थे।अनके जन्म व मृत्यु को उनकी जिन्दगी ने एक मतलब दिया। ईसामसीह भगवान के पुत्र थे। अनके जन्म हजारो साल जहले भगवान के एक दूत ने कर दी थी। उन्होने इस बात के संकेत दिए थे, कि भगवान का जन्म बैथलेहम में होगा और कुछ दूतो ने तो भगतान के भविष्य और मृत्यु की आशंका प्रकट की थी। यह सब कुछ नबी ईसाह मे साफ-साफ लिखा है।
भगवान ईसा मसीह का जन्म पहले से ही लिखा हुआ था। वह ही केवल ऐसे इंसान हैं जिनके पास पुर्नजन्म की शक्ति थी। इस प्रमाण से यह साफ होता है कि भगवान के जन्म का कोई मतलब था। उनका जन्म हमें यह बताता है कि प्रभु हम सबसे प्यार करते हैं क्योंकि हम उरनके बच्चे हैं और वे हमाने पिता है। प्रभु ने हमें यह सिखया है कि हमारा असली घर स्वर्ग है। जहाॅ पर हमें हमेशा अपने पिता के साथ रहना है। परन्तु स्वर्ग में पहुॅचना हमारे हाथ में नहीं है। हम सबने कुछ गलतियाॅ की है। और हम प्रभु से प्रार्थना करजे है कि वो हमारी गलतियाॅ माफ करे। यह सब प्रभु इस संसार से प्यार करते है। उन्होने अपरा एक बालक हम सबके बीच भेजा ताकि सब उसमें विश्वास कर सकें और बुरे मार्ग को न अपनाए जिससे उनकी जिंदगी हमेशा सफन बन सके।
क्रस पर लटकते समय शुक्रवार दोपहर को 2000 साल पहले मिट्टी ईसामसीह ने ईश्वर से प्रार्थना की कि- हे भगवान मेरी हत्या करने वालों को क्षमा करना।
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