भारत में रास्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए उत्पादन, आय तथा व्यय विधि का मिश्रित प्रयोग किया जाता है. भारत में रास्ट्रीय आय के अनुमान के लिए सांख्यिकीय संगठन ने सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को ६ क्षेत्रो में बाटा है,
१. प्राथमिक क्षेत्र
२. द्वितयक क्षेत्र
३. परिवहन संचार एवं व्यापर
४. वित्त एवं वास्तविक सम्पति
५. सामुदायिक और निजी क्षेत्र
६. विदेशी क्षेत्र
प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त लगभग सम्पूर्ण आय की गणना उत्पादन विधि के द्वारा होती है और कुल रास्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान लगभग ३०% होता है, विदेशो से शुद्ध साधन आय सम्बन्धी आकडे RBI के द्वारा तेयार किये जाते है और प्रकाशित भी किये जाते है, भारत में पूँजी निर्माण सम्बन्धी आकडे सी एस ओ द्वारा तेयार किये जाते है इन्हें RBI के द्वारा तेयार नहीं किया जाता है, सी एस ओ के अनुसार अब तक जीडीपी साधन लगत के आधार आर्थिक संवृद्धि दर के माप के लिए प्रोग में लाया जाता था अब अन्त्रस्त्रिय व्यवहार को ध्यान में रखते हुए GDP बाजार मूल्य के आधार पर इसकी माप की जाएगी, NNI किसी वर्ध बाजार मूल्य पर व्यक्त जीडीपी है जिसमे सी एस सी कर्मचारियों की निवल क्षतिपूर्ति तथा शेष विश्व से प्राप्त सम्पति आय को सम्मयोजित किया गया है,
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