वायु प्रदूषण आज वैश्विक स्वास्थ्य जोखिमों में सबसे बड़ा योगदान देने वाली समस्या बन चुका है। किसी भी क्षेत्र में हवा कितनी स्वच्छ है या कितनी प्रदूषित—यह समझने के लिए Air Quality Index (AQI) का उपयोग किया जाता है। AQI एक मानकीकृत संकेतक है जो हवा की गुणवत्ता को 0 से 500 की संख्या में बदल देता है ताकि आम लोग भी आसानी से समझ सकें कि हवा सांस लेने लायक है या नहीं।
लेकिन AQI को मापने के पीछे एक अत्यंत जटिल वैज्ञानिक व तकनीकी प्रक्रिया काम करती है। आइए इसे चरण-दर-चरण विस्तार से समझते हैं।
1. AQI किन प्रदूषकों को मापकर तय किया जाता है?
AQI को 6 मुख्य प्रदूषकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है:
- PM2.5 — 2.5 माइक्रोन आकार के अतिसूक्ष्म कण
- PM10 — धूल एवं ठोस कण
- NO₂ (Nitrogen Dioxide)
- SO₂ (Sulphur Dioxide)
- CO (Carbon Monoxide)
- O₃ (Ground Level Ozone)
इनमें से कोई भी एक pollutant अत्यधिक हो जाए तो AQI बहुत खराब हो सकता है।
विशेषकर PM2.5 AQI को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
2. AQI मापने के लिए Ground Monitoring Stations कैसे काम करते हैं?
हवा की गुणवत्ता को सबसे सटीक रूप से जमीन पर लगे मॉनिटरिंग स्टेशन मापते हैं। भारत में इन्हें चलाते हैं:
- CPCB – Central Pollution Control Board
- SPCBs – State Pollution Control Boards
- NAAQMS – National Air Quality Monitoring System
इन स्टेशनों में मुख्य तकनीक:
🔹 PM2.5 / PM10 Analyzer
- लेज़र स्कैटरिंग तकनीक
- Beta Attenuation Monitors (BAM)
- TEOM (Tapered Element Oscillating Microbalance)
ये उपकरण हवा में मौजूद कणों की मात्रा (µg/m³) को निरंतर मापते रहते हैं।
🔹 Gas Analyzer Technologies
| प्रदूषक | तकनीक |
|---|---|
| NO₂ | Chemiluminescence |
| SO₂ | UV Fluorescence |
| CO | NDIR (Non-dispersive Infrared) |
| O₃ | UV Photometric |
ये गैसें अलग-अलग सिद्धांतों से मापी जाती हैं और हर 5–10 मिनट में डेटा प्रदान करती हैं।
🔹 Meteorological Instruments
- Air Temperature
- Wind Speed
- Wind Direction
- Humidity
- Rainfall
ये डेटा वायु प्रदूषण के फैलाव एवं AQI के पूर्वानुमान में उपयोग होता है।
3. Satellite-Based Air Quality Monitoring
जहाँ जमीन पर मॉनिटरिंग स्टेशन नहीं होते, वहां उपग्रह (Satellites) AQI अनुमान में सहायता करते हैं।
प्रमुख सैटेलाइट:
✅ NASA MODIS
✅ NASA VIIRS
✅ ESA Sentinel-5P
✅ Copernicus Atmospheric Monitoring Service
सैटेलाइट क्या मापता है?
- Aerosol Optical Depth (AOD) — हवा में कणों की कुल मात्रा
- Surface-level ozone
- NO₂, SO₂ optical properties
- Biomass burning smoke
- Desert dust storms
- Crop residue burning
AOD को ज़मीन के मौसम डेटा के साथ मिलाकर PM2.5 का अनुमान निकाला जाता है।
4. Low-Cost Sensors: हवा की गुणवत्ता मापने की IoT तकनीक
लो-कोस्ट सेंसर आज हवा के डेटा का एक विशाल स्रोत बन चुके हैं।
ये सेंसर किन तकनीकों पर आधारित होते हैं?
🔸 Laser Scattering Sensors (PM2.5/PM10)
एक लेज़र बीम में कण कितनी रोशनी बिखेरते हैं—इससे कणों की मात्रा मापी जाती है।
🔸 Electrochemical Gas Sensors
NO₂, SO₂, CO जैसी गैसें इलेक्ट्रोड से प्रतिक्रिया करती हैं।
🔸 NDIR (Infrared Absorption)
CO और CO₂ की सटीक माप करता है।
🔸 IoT Communication
- Wi-Fi
- GSM/4G
- LoRaWAN
- NB-IoT
डेटा सीधे क्लाउड पर भेजा जाता है।
लेकिन ये सेंसर सरकारी स्टेशनों जितने सटीक नहीं होते। इन्हें AI मॉडल से calibrate किया जाता है।
5. AI और Machine Learning—AQI निर्धारण में नई क्रांति
AI मॉडल विभिन्न स्रोतों से आए डेटा को मिलाकर एकीकृत और सटीक AQI तैयार करते हैं।
AI जिन चीजों को मिलाता है:
- Ground Station Data
- IoT Sensor Data
- Satellite AOD
- Traffic Intensity
- Weather Parameters
- Industrial Emission Maps
- Local Dust Sources
AI क्या करता है?
- गलत sensor readings को हटाता है
- कई स्रोतों के डेटा को merge करता है
- PM2.5/PM10 का corrected value निकालता है
- AQI का वास्तविक स्वरूप बनाता है
- भविष्य का अनुमान (Forecasting) देता है
इससे रिपोर्ट अधिक विश्वसनीय बनती है।
6. AQI कैसे Calculate किया जाता है? (Scientific Formula)
AQI एक pollutant का “Sub-index” निकालकर अंतिम AQI तय करता है।
Sub-index formula:
SubIndex = ((Observed – Low) / (High – Low)) × (IndexHigh – IndexLow) + IndexLow
Step:
- हर pollutant का sub-index निकलता है
- जो सबसे ज्यादा है वही AQI बन जाता है
AQI = Maximum(SubIndex of all pollutant)
7. AQI Range और उसका Meaning
| AQI Range | Explain | Health Impact |
|---|---|---|
| 0–50 | Good | कोई खतरा नहीं |
| 51–100 | Satisfactory | हल्की परेशानी |
| 101–200 | Moderate | संवेदनशील लोगों के लिए दिक्कत |
| 201–300 | Poor | सांस, खांसी, जलन |
| 301–400 | Very Poor | गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव |
| 401–500 | Severe | अत्यंत खतरनाक |
8. AQI खराब होने के प्रमुख कारण
- वाहनों का धुआं
- उद्योगों से उत्सर्जन
- निर्माण कार्य
- धूल के तूफान
- पराली जलाना
- पटाखे
- घरेलू कचरा जलाना
- मौसम की स्थिति (Wind Speed, Temperature Inversion)
9. खराब AQI का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
अल्पकालिक (Short-term):
- आंखों में जलन
- गले में खराश
- सांस में दिक्कत
- सिरदर्द
दीर्घकालिक (Long-term):
- अस्थमा
- COPD
- हार्ट डिसीज
- फेफड़ों की क्षमता कम होना
- कैंसर तक का जोखिम
Air Quality Index एक अत्यंत वैज्ञानिक और बहु-स्तरीय प्रणाली है जो विभिन्न स्रोतों—
सरकारी मॉनिटरिंग स्टेशन, लो-कोस्ट IoT सेंसर, मौसम डेटा, और सैटेलाइट माप
के आधार पर तैयार होता है।
इसके बाद AI और गणितीय फॉर्मूले डेटा को संसाधित करते हैं, और अंतिम AQI बनकर सामने आता है जो स्वास्थ्य जोखिमों का स्पष्ट संकेत देता है।
AQI केवल एक संख्या नहीं बल्कि हवा की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है

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