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Why WhatsApp Was Nearly Banned in India? | क्यों लगा WhatsApp पर बैन का खतरा?


पिछले कुछ समय में भारत में यह खबर तेजी से फैली कि WhatsApp पर बैन लग सकता है। कारण था – भारत सरकार और WhatsApp के बीच बढ़ता विवाद, जो IT Rules 2021, डेटा प्राइवेसी और गंभीर अपराधों की जांच से जुड़ा था।

वीडियो में बताया गया कि सरकार WhatsApp से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी चाहती थी, जबकि WhatsApp अपनी End-to-End Encryption Policy के कारण इसे देना संभव नहीं मानता था। इसी खींचतान से WhatsApp पर बैन जैसी स्थिति बन गई।

1. How the Ban Controversy Started? | बैन की खबर कैसे शुरू हुई?

  • कई मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया कि सरकार WhatsApp को बैन कर सकती है।
  • कारण था कि WhatsApp केवल चैट ऐप नहीं रह गया—पेपर लीक, दंगे, अफवाहें, फेक न्यूज, और आपत्तिजनक वीडियो शेयरिंग में इसका दुरुपयोग बढ़ रहा था।
  • ऐसे में सरकार ने WhatsApp से जानकारी साझा करने की मांग की ताकि अपराधियों तक आसानी से पहुंचा जा सके।

WhatsApp Misuse, Fake News Spread, Government Warning

2. What Did the Government Ask For? | सरकार ने क्या मांगा?

सरकार ने कहा कि:

  • जब कोई गंभीर अपराध,
  • दंगा या सांप्रदायिक हिंसा,
  • बच्चों से जुड़ी अवैध सामग्री,
  • या देशद्रोही गतिविधि

वायरल मैसेज के रूप में फैलता है,
तो जांच के लिए यह जानना आवश्यक होता है कि इसका First Originator / Original Sender कौन था।

सरकार ने 2018 से बार-बार WhatsApp को कहा कि:

👉 “Serious Cases में बस यह बता दो कि मैसेज की शुरुआत किस नंबर से हुई।”

3. WhatsApp की सबसे बड़ी दिक्कत – End-to-End Encryption

WhatsApp ने साफ कहा:

  • उसके प्लेटफॉर्म पर End-to-End Encryption है।
  • वह किसी भी मैसेज का सोर्स या First Originator ट्रैक ही नहीं कर सकता
  • ऐसा करने से पूरी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी।

WhatsApp ने तर्क दिया:

  • इससे यूजर सिक्योरिटी खतरे में पड़ जाएगी।
  • कोई सरकार, कंपनी या हैकर आसानी से लोगों की प्राइवेट चैट ट्रैक कर सकता है।
  • इससे WhatsApp का बिजनेस और भरोसा दोनों खत्म हो जाएंगे।

 WhatsApp Privacy Policy, End-to-End Encryption Debate

4. Government vs WhatsApp: तर्क-दलिलें

👉 सरकार का पक्ष:

  • आम लोगों की निजी चैट में कोई दिलचस्पी नहीं।
  • मांग सिर्फ गंभीर अपराधों में First Originator खोजने की है।
  • ताकि अपराधियों को पकड़ा जा सके, अफवाहें रोकी जा सकें।

👉 WhatsApp का पक्ष:

  • तकनीकी रूप से First Originator देना संभव ही नहीं।
  • यह उसकी प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ है।
  • इससे पूरी encryption टूट जाएगी।

 National Security vs Privacy Debate

5. Court’s Role: A Middle Path | अदालत का रास्ता

मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा।

अदालत ने सलाह दी कि:

  • प्राइवेसी भी रहे,
  • और गंभीर अपराधों में जांच भी रुकनी नहीं चाहिए।

इसका समाधान यह सुझाया गया:

👉 WhatsApp को एक Grievance Officer / Authorized Officer नियुक्त करना चाहिए
जो केवल अधिकृत सरकारी अनुरोध पर First Originator की जानकारी उपलब्ध करवाए — लेकिन यह तभी संभव हो जब तकनीकी रूप से वैध और कानूनी प्रक्रिया हो।

6. Final Summary / निष्कर्ष

  • विवाद प्राइवेसी बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा का था।
  • सरकार केवल गंभीर मामलों में First Originator की पहचान चाहती थी।
  • WhatsApp अपनी encryption पॉलिसी के चलते ऐसा देने में असमर्थ था।
  • कोर्ट ने दोनों को मिलकर समाधान निकालने की सलाह दी।
  • इसलिए WhatsApp पर फिलहाल कोई बैन नहीं लगा

Real-Life Example / व्यावहारिक उदाहरण

मान लीजिए कोई पेपर लीक या दंगा भड़काने वाला मैसेज वायरल होता है।
अगर पुलिस को पहले भेजने वाला (first originator) मिल जाए,
तो असली अपराधी तक तुरंत पहुंचा जा सकता है।

लेकिन encryption के कारण WhatsApp यह जानकारी दे नहीं सकता—यही पूरा विवाद का मूल कारण था।

FAQ Section

Q1. क्या भारत में WhatsApp वास्तव में बैन होने वाला था?

नहीं, लेकिन विवाद इतना बढ़ा कि बैन एक संभावित विकल्प के रूप में सामने आया।

Q2. सरकार क्या चाहती थी?

सिर्फ गंभीर मामलों में First Originator की जानकारी।

Q3. WhatsApp इसे क्यों नहीं दे सकता?

End-to-end encryption मैसेज ट्रैक करने की अनुमति नहीं देता।

Q4. क्या सामान्य चैट की प्राइवेसी खतरे में थी?

नहीं, सरकार ने साफ कहा कि वह आम लोगों की निजी चैट में दिलचस्पी नहीं रखती।

Important Resources (Official Links)

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