अंग्रेज अगर भारत नहीं आते तो हो सकता था की भारत कहीं ज्यादा समृद्ध, आमिर और शक्तिशाली होता। अंग्रेजों के भारत आने से पहले भारत दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक देश था जिसकी GDP पूरे दुनिया की GDP की लगभग एक चौथाई के बराबर थी। भारत की करेंसी (मुद्रा) विश्व की सबसे मजबूत और विश्वसनीय करेंसी मानी जाती थी।
लेकिन मात्र २०० वर्षोँ में ही अंग्रेज़ों ने लूट-खसोट कर भारत को पूरी तरह दरिद्र कर दिया। अंग्रेज भारत के कच्चे माल को औने-पौने दामों में अपने देश ले जाते और उससे उत्पादिय वस्तुओं को विश्व के बाज़ार में बहुत ज्यादा कीमतों पर बेचते। इसीलिए भारत के सैकड़ों व्यवसायों को अंग्रेजो के द्वारा तबाह कर दिए गया। जिसके चलते देखते ही देखते भूखा नँगा ब्रिटैन विश्व का सबसे विकसित ,धनी और शक्तिशाली देश बन गया । और उसी अनुपात में भारत दरिद्र और कमज़ोर होता गया।
इन्ही 200 वर्षो में अंग्रेजो ने रेलवे लाइन बिछवाई । बन्दरगाहो का विकास करवाया। रेलवे लाइनों और बन्दरगाहो के विकास करने का उद्देश्य ये ही था कि भारत में लूट की मात्रा और दर को और अधिक बढ़ाया जा सके।
जब अंग्रेजों ने 1947 में भारत छोड़ा तब भारत की अर्थव्यवस्था इतनी जर्जर हो चुकी थी कि अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में भारत की जो छवि उभरकर सामने आती थी वह थी एक दुबले , कमज़ोर, अधनंगे, भिकारी देश की जो एक कटोरा आगे कर भीख मांगता हुआ दिखाया जाता था। भारत उस समय इतना अन्न नहीं उगा पता था कि अपना पेट भर सके।
भारतीयों में यह भी ऐक बहुत बड़ी भ्रांति है कि अगर अँग्रेज़ भारत नहीं आते तो भारत मुग़ल शासकों के अधीन होता। मुग़ल साम्राज्य तो 1725 आते-आते शक्तिहीन हो चुका था। तो
1857 तक मुग़ल " सम्राट" का साम्राज्य लाल किले तक सीमित हो चुका था। फिर वह भी समाप्त हो गया। यह सोचना भी हास्यास्पद है कि अगर अँग्रेज़ न आते तो भारत स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी मुग़लों के आधीन रहता। वैसे भी बीसवीं शताब्दि विश्व भर के सम्राटों, महाराजाओं ,और राजे-रजवाड़ों के पतन की शताब्दी रही है।
इस दौरान अंग्रेज़ों ने कई रियासतें हड़पी। जो रियासते उन्होंने छोड़ीं वे इसलिए कि या तो उन्हें हड़पना सम्भव नहीँ था या ज़रूरी नहीं था। जब भारत स्वतन्त्र हुआ तो उसे रियासतों का सिरदर्द भी सहना और निपटाना पड़ा ।
भारत में कुछ इसे समाज सेवी और स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता हुए जिन्होंने भारत को उसकी इस दुर्दशा से उभारा और भारत अन्न-उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर किया , विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ाया, परमाणु -शक्ति संपान देश बनाया, भारत को अन्तरिक्ष अंतरिक्ष तक पहुंचाया। भारत ने IIT जैसे शिक्षा संस्थान स्थापित किये जिनकी विश्व भर में प्रशंसा हुई । लगातार ३ युद्धों मेँ भारत ने पाकिस्तान को पराजित किया जिसमें से अंतिम युद्ध जो 1971 में में लड़ा गया थे उसमे तो हमने पाकिस्तान के दो टुकड़े ही कर दिए। 1947 की दयनीय स्थिति से उठकर सन 1995 आते-आते भारत विश्व की एक प्रमुख शक्ति बन गया।
ये स्पष्ट है कि अगर अंग्रेजों ने हमारे पैसों के साथ-साथ हमारे संसाधनों की भी लूट नहीँ की होती तो आज भारत सँसार के सब से विकसित देश होता।
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