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हस्तिनापुर साम्राज्य के प्रसिद्ध नगर जो वर्तमान में भी मोजूद है | Famous Cities of Hastinapur Empire | History of Hastinapur

 महाभारत काल में जिन गांव और नगरो के जो नाम थे उनमें से वर्तमान में कुछ ही के नाम मिलते हैं। समय के साथ उन नामों में बदलाव होता गया। हालांकि बहुत से ऐसे शहर हैं जिन्हें आज भी उन्हीं नामों से जाना जाता है जिन नामों से महाभारत काल में पुकारा जाता था। जैसे मथुरा, काशी, जगन्नाथ, द्वारिका, बद्रीनाथ, गंगोत्री, सोमनाथ, कुरुक्षेत्र आदि। ये वो नगर है जिनको आज भी उन्ही नाम से जाना जाता है जिस नाम से महाभारत काल में जाना जाता था, इसके आलावा कुछ शहर और गाव ऐसे भी है, वर्तमान में जिनके नामो में  परिवर्तन हो गया है, इस लेख में हम इन्ही महाभारत कालीन नगरो और शहरो के बारे में विस्तार से जानेगे, तो आइये जानते हैं कि आज उन महाभारत कालीन शहर और गावों को किस नाम से जाना जाता हैं।

 कुरुक्षेत्र वह स्थान था जहाँ पर महाभारत की लड़ाई लड़ी गयी थी, कुरुक्षेत्र को आज भी कुरुक्षेत्र ही कहा जाता है जो कि हरियाणा में स्थित है। कुरुक्षेत्र के पास अभिमन्युपुर नाम का शहर था जिसे वर्तमान में अमीन के नाम से जानते हैं। कुरुक्षेत्र के पास ही जयंता नाम का एक क्षेत्र था जिसे वर्तमान में जींद कहा जाता है। जींद अब हरियाणा का एक जिला बन गया है। इसी तरह पानीप्रस्थ को पानीपत, सोनीप्रस्थ को सोनीपत और व्याग्रपत को बागपत कहाँ जाता हैं। बागपत उत्तर प्रदेश का एक जिला है। हाल ही में यहां हुए उत्खनन में महाभारत काल के प्रचीन अवशेष पाए गए हैं। आश्चर्य की बात ये है  कि इसी बागपत में एक स्थान से 4 हजार वर्ष पुराना रथ मिला है। जो महाभारत कालीन है, बागपत उसी हस्तिनापुर के ऐतिहासिक साम्राज्य का हिस्सा है जिसके लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। यहाँ में रथ और उसके पहियों में अच्छी क्वालिटी का तांबा लगा हुआ था जिसके कारण ये इतने हजार वर्ष तक सुरक्षित रहा।

हस्तिनापुर जोकि मेरठ जिले में स्थित है और मथुरा ऐसी दो जगहें जिनके नामों में अब तक कोई बदलाव नहीं आया है। अगर आप हस्तिनापुर के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इसके लिए हमने अलग से विडियो बनाया हुआ है, जिसका लिंक नीचे विडियो के डिस्क्रिप्शन में दिया गया है, उस विडियो को आप वहां से देख सकते है,

गुरुग्राम का सम्बन्ध भी महाभारत से है, जिसे वर्तमान में गुड़गांव कहा गया। लेकिन अब इसका नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया गया है, जो की इसका प्राचीन नाम था। हस्तिनापुर का साम्राज्य बहुत विशाल था, हस्तिनापुर शहर इस साम्राज्य की राजधानी था, बाद में इस साम्राज्य की राजधानी इन्द्रप्रस्थ को बनाया गया, जो वर्तमान में दिल्ली में है, महाभारत काल के कुछ शहर जैसे कुंभा , गंधार, बाल्हीक, वोक्काण, कपिशा, मेरू, कम्बोज, पेशावर, सुवास्तु, पुष्कलावती जिन्हें वर्तमान में वे  काबुल, कंधार, बल्ख, वाखान, बगराम, पामीर, बदख्शां, पेशावर, स्वात, चारसद्दा आदि नामो से जाना जाता है।

महाभारत में वारणावत के नाम से प्रसिद्ध गाव, जिसे वर्तमान में बरनावा के नाम से जाना जाता है ये उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हिण्डन और कृष्णा नदी के संगम पर स्थित है जो मेरठ (जिसे महाभारत काल में हस्तिनापुर कहा जाता था) से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी स्थित है। यह वही प्राचीन गांव है, जो उन 5 ग्रामों में से था जिनकी मांग पांडवों ने दुर्योधन से महाभारत युद्ध से पहले की थी। ये 5 गांव वर्तमान में - पानीपत, सोनीपत, बागपत, तिलपत और वारणावत (बरनावा) है। बरनावा गांव में महाभारत काल का लाक्षागृह महल और टीला आज भी मोजूद है। यहाँ पर महाभारत कालीन लाक्षाग्रह महल के अवशेष आज भी मोजूद है, इसी स्थान पर एक सुरंग भी है। यह सुरंग हिंडनी नदी के किनारे पर खुलती है। यह वही सुरंग है जिसका प्रयोग पांडवो ने उस समय किया था जब उन्हें लाक्षाग्रह में जलाकर मरने की कौशिश की गयी थी, पांडव इसी सुरंग के रस्ते लक्षाग्रह से भागने में सफल हुए थे, वर्तमान में इस लाक्षाग्रह के अवशेष पिलरो को कुछ असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिए है,  यहीं पर पांडव किला भी है जिसमें अनेक प्राचीन महाभारत कालीन मूर्तियां देखी जा सकती हैं। गांव के दक्षिण में लगभग 100 फुट ऊंचा और 30 एकड़ भूमि पर फैला हुआ यह टीला लाक्षागृह का अवशेष है। इस टीले के नीचे 2 सुरंगें स्थित हैं। वर्तमान में टीले के पास की भूमि पर एक गौशाला, श्रीगांधीधाम समिति, वैदिक अनुसंधान समिति तथा महानंद संस्कृत विद्यालय स्थापित है।

दिल्ली को महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था और मेरठ को हस्तिनापुर के नाम से, दिल्ली में पुराना किला इस बात का सबूत है। कि दिल्ली ही महाभारत काल में पांडवो की दूसरी राजधानी थी, इस पुराने किले में खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों कि राजधानी इसी स्थल पर थी। दिल्ली कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। पुराना किला दिल्ली में यमुदा नदी के पास स्थित है, जिसे पांडवों ने बनवाया था। बाद में इसका पुनरोद्धार होता रहा। महाभारत के अनुसार यह पांडवों की राजधानी थी। दूसरी ओर कुरु देश की राजधानी गंगा के किनारे ‍हस्तिनापुर में स्थित थी। दिल्ली का लालकोट क्षेत्र राजा पृथ्वीराज चौहान की 12वीं सदी के अंतिम दौर में राजधानी थी। लालकोट के कारण ही इसे लाल हवेली या लालकोट का किला कहा जाता था। बाद में लालकोट का नाम बदलकर शाहजहानाबाद कर दिया गया।

# गांधार प्रदेश का क्षेत्र जोकि वर्तमान समय में अफगानिस्तान और पाकिस्तान में स्थित हैं। उस समय गांधार की राजधानी तक्षशिला थी। जो वर्तमान में पाकिस्तान के रावलपिंडी से 18 मील उत्तर की ओर और इस्लामाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र ही गांधार राज्य के अंतर्गत आता था। गंधार का अर्ध होता है सुगंध। गांधारी गांधार देश के 'सुबल' नामक राजा की कन्या थीं। आज के पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र उस काल में भारत का गंधार प्रदेश था। आधुनिक कंदहार इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था। गंधार में कई छोटी-छोटी रियासतें थीं, जैसे अभिसार, तक्षशिला आदि। पुरुषपुर (जोवर्तमान में पेशावर है) तथा तक्षशिला इसकी राजधानी थी। इसका अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा।

 कंबोज प्रदेश भी अफगा‍न, पाकिस्तान और कश्मीर के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर बना क्षेत्र था। इसकी राजधानी राजपुर थी जिसे वर्तमान में राजौरी कहते हैं। यह वर्तमान में भारत के कश्मीर में स्थित है। पाकिस्तान का हजारा जिला भी उस समय कंबोज के अंतर्गत ही आता था। आधुनिक मान्यता के अनुसार कश्मीर के राजौरी से तजाकिस्तान तक का हिस्सा कंबोज था जिसमें आज का पामीर का पठार और बदख्शां भी हैं। बदख्शां अफगानिस्तान में हिन्दूकुश पर्वत का निकटवर्ती प्रदेश है और पामीर का पठार हिन्दूकुश और हिमालय की पहाड़ियों के बीच का स्थान है।

 वर्तमान के बरेली, बदायूं और फर्रूखाबाद महभारत काल के पांचाल के क्षेत्र में आते थे; उस समय इनकी राजधानी काम्पिल्य थी। इसके नाम का सर्वप्रथम उल्लेख यजुर्वेद की तैत्तरीय संहिता में 'कंपिला' रूप में मिलता है। कनिंघम के अनुसार वर्तमान रुहेलखंड उत्तर पंचाल और दोआबा दक्षिण पंचाल था। पांचाल को पांच कुल के लोगों ने मिलकर बसाया था। यथा किवि, केशी, सृंजय, तुर्वसस और सोमक। पंचालों और कुरु जनपदों में परस्पर लड़ाई-झगड़े चलते रहते थे।

 ये प्रमुख नगर : तक्षशिला (रावलपिंडी के पास), अवंतिका (उज्जयनी), हस्तिनापुर (मेरठ), व्याग्रपद (बागपत), वृंदावन, मथुरा, इंद्रप्रस्थ और खांडवप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली), पांचाल (हिमालय और चंबा नदी के बीच का स्थान), अंग प्रदेश (भागलपुर), मत्स्य प्रदेश की राजधानी विराट (वर्तमान में बैराठ राजस्थान के जयपुर जिले का एक शहर है), द्वारिका (गुजरात के समुद्र तट पर) आदि ऐसे कई शहर है जहां आज भी महाभारत काल के प्रमाण देखने को मिलते हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो भी महाभारत काल की सभ्यता है उस काल में इरान को पारस्य देश कहते थे जहां पर अस्वाका (Aswaka) का साम्राज्य था। इराक में पहलावा (Pahlava) का साम्राज्य था। उत्तर मद्र और उत्तर कुरु को वर्तमान में किर्गिस्तान (Kyrgistan) कहते हैं। नेपाल में विदेही साम्राज्य था जिसकी राजधानी मिथिला थी। श्रीलंका में सिंहल और त्रिकुटा नामक दो राज्य थे।

 तिब्बत को त्रिविष्टप कहा जाता था जहां रिशिका (Rishika) और तुशारा (East Tushara) नामक राज्य थे। वंगा और पुण्ड्र के क्षेत्र को वर्तमान में बांग्लादेश कहा जाता है। म्यांमार उस समय ब्रह्मदेश था, जिसे बर्मा भी कहा जाता है। उस काल में ग्रीस को यवन कहते थे। इसे वर्तमान में यूनान भी कहते हैं। कालयवन वहीं का था। इसी तरह सीरिया, असीरिया, सऊदी अरब, चीन आदि कई देशों का वर्णन मिलता है।

 भारत में कई प्राचीन शहर हैं, जैसे मथुरा, अयोध्या, द्वारिका, कांची, उज्जैन, रामेश्वरम, प्रयाग (इलाहाबाद), पुष्कर, नासिक, श्रावस्ती, पेशावर, बामियान, सारनाथ, लुम्बिनी, राजगिर, कुशीनगर, त्रिपुरा, गोवा, महाबलीपुरम, कन्याकुमारी, श्रीनगर, गांधार आदि, लेकिन काशी का स्थान इन सबमें सबसे ऊंचा है। काशी को 'वाराणसी' और 'बनारस' भी कहा जाता है। इन सभी नगरो का सम्बन्ध महाभारत काल से है

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